जिन दिनों हम को उस से था इख़्लास खुल रहा था वो जा-ब-जा इख़्लास उस को भी हम से थी बहुत उल्फ़त और हमें उस से था बड़ा इख़्लास मिल के जब बैठते थे आपस में था दिखाता अजब मज़ा इख़्लास एक दिन हम में और 'नज़ीर' उस में हो के ख़फ़्गी जो हो चुका इख़्लास हम ये बोले किधर गई उल्फ़त वो ये बोला किधर गया इख़्लास