जिन को अपनी राहों में दिक्कतें नहीं मिलती उन को अपनी मंज़िल की सोहबतें नहीं मिलती ख़ून मेरे सीने का आँख तक नहीं आया इतनी जल्द ग़ज़लों को शोहरतें नहीं मिलती दूर रह के वो मुझ से था क़रीब-तर कितना पास रह के क्यूँ उस की क़ुर्बतें नहीं मिलतीं इक पुकार सुनते ही जा रहा हूँ मक़्तल में रोज़ रोज़ दुश्मन की दावतें नहीं मिलतीं जिस के दिल में रहती है सिर्फ़ आप की सूरत उस को राह-ए-दुनिया की आफ़तें नहीं मिलतीं हम को मिल गई होती अपने इश्क़ की मंज़िल गर हमें ये दुनिया की तोहमतें नहीं मिलतीं अपनी धुन के 'राही' को राह क्या बताते हो हम से तेरी दुनिया की आदतें नहीं मिलतीं