जीने का लुत्फ़ ज़ीस्त का हासिल नहीं रहा वो वलवले नहीं रहे वो दिल नहीं रहा हंगामा-ज़ार-ए-शौक़ है या महशर-ए-अलम तूफ़ान-ए-इज़्तिराब है वो दिल नहीं रहा साक़ी की एक ही निगह-ए-इल्तिफ़ात में मुश्किल हमारा उक़्दा-ए-मुश्किल नहीं रहा यादश-ब-ख़ैर हासिल-ए-कौनैन था जो दिल छुट कर किसी से अब किसी क़ाबिल नहीं रहा महफ़िल से उठ गए मिरी हैरत के आइने अब आइने के कोई मुक़ाबिल नहीं रहा 'मख़फ़ी' क़ज़ा ने राह में हम को मिटा दिया अंदेशा-ए-दराज़ी-ए-मंज़िल नहीं रहा