जीने के अगर चंद सहारे भी मिले हैं तो जान से जाने के इशारे भी मिले हैं हर चंद रह-ए-इश्क़ के ग़म सख़्त हैं लेकिन इस राह के कुछ ग़म हमें प्यारे भी मिले हैं कुछ अपनी वफ़ाओं से जो उम्मीद थी हम को कुछ उन की निगाहों के सहारे भी मिले हैं ऐ राह-रव-ए-राह-ए-जुनूँ भूल न जाना इस राह में जी जान से हारे भी मिले हैं इल्ज़ाम-ए-तग़ाफ़ुल हमें तस्लीम है लेकिन बदले हुए अंदाज़ तुम्हारे भी मिले हैं क्या कीजिए तदबीर से हारा नहीं जाता गो राह में तक़दीर के मारे भी मिले हैं तूफ़ाँ में सभी डूब तो जाते नहीं 'अख़्गर' कुछ लोगों को तूफ़ाँ में किनारे भी मिले हैं