जिस घड़ी उन से बात होती है रक़्स में काएनात होती है उन के आने से दिन निकलता है उन के जाने से रात होती है लफ़्ज़ यूँ फूल बन के झड़ते हैं गोया हर सू बरात होती है उन से मिलने को मो'जिज़ा कहिए हुस्न की ये ज़कात होती है रोग ऐसा लगा है उल्फ़त का इस से कैसे नजात होती है ज़ालिमों से वो डर नहीं सकता जिस के दिल में फ़ुरात होती है