जिस को चाहा था ज़िंदगी के लिए वो मिला हम को दो घड़ी के लिए चाँद को देखते तो सब हैं मगर चाँद होता नहीं सभी के लिए ग़म को अब ग़म नहीं समझता है इतना तरसा है दिल ख़ुशी के लिए इन चराग़ों में रौशनी है बहुत दिल जलाओ न दिल-लगी के लिए ग़म के दरिया को पार कर लेना कितना मुश्किल है आदमी के लिए मौत के डर से लोग ज़िंदा हैं कोई जीता नहीं किसी के लिए