जिस कूँ दर्द-ए-जिगर की लज़्ज़त है ज़हर उस कूँ मिसाल-ए-अमृत है देख तुझ नाज़ की नज़ाकत कूँ निगहत-ए-गुल शहीद-ए-हैरत है कम-नुमाई सीं उस क़मर-रू कूँ माह-ए-नौ की मिसाल शोहरत है मेरी आँखों में यार की तस्वीर अक्स-ए-आईना-ए-मुहब्बत है झाँझ में क्यूँ न आवे दिल मेरा तुझ जुदाई की मुझ को नौबत है क्या चुका बू है ज़ुल्फ़ में तेरी आरसी जिस कूँ देख चकरत है वस्ल में इज़्तिराब जाता नहीं सौ क़रन मुझ कूँ एक साअ'त है मिस्ल-ए-आईना कर नमद-पोशी साफ़ी-ए-सीना तर्क-ए-ज़ीनत है फिर पतंगों का शोर उट्ठा 'सिराज' जल्वा-ए-शमअ'-रु क़यामत है