जिस को पढ़ कर के इल्म-ए-नाफ़े हो By Ghazal << ख़ुशबू का जिस्म नूर का पै... रुख़ से पर्दा जो उठा रक्ख... >> जिस को पढ़ कर के इल्म-ए-नाफ़े हो घर में ऐसी किताब रखते हैं वास्ता सूफ़ियत से है हम को कुछ तो पा-ब-रिकाब रखते हैं चाँद आ जाए मेरी मुट्ठी में अब भी बचपन का ख़्वाब रखते हैं कितना खोया है कितना पाया है ज़िंदगी की किताब रखते हैं Share on: