जिस्म-ओ-जाँ के हिसार में मैं हूँ इक अजब से दयार में मैं हूँ शबनमी ताज है मिरे सर पर कितनी दिलकश फुवार में मैं हूँ क़त्ल-ओ-ग़ारत-गरी तिरा पेशा अम्न के कारोबार में मैं हूँ ताज़गी मेरे रुख़ से ज़ाहिर है लम्हा-ए-ख़ुश-गवार में मैं हूँ क़ल्ब को ए'तिराज़ बेजा है ज़ह्न के इख़्तियार में मैं हूँ मुझ को उस पार का सुनाओ हाल बहर के इस कनार में मैं हूँ पास ख़ुश-फ़हमियों की दलदल है एक तारीक ग़ार में मैं हूँ ऐ 'नज़र' डर ख़िज़ाँ का घेरे है जब कि शहर-ए-बहार में मैं हूँ