जीते जी बस वो बुत रहा हमराह

जीते जी बस वो बुत रहा हमराह
अब तो बंदे के है ख़ुदा हमराह

दिल दिया उस को पर ये डरता हूँ
दुश्मन इक दोस्त के किया हमराह

नहीं यारान-ए-रफ़्तगाँ का निशाँ
ले गए क्या ये नक़्श-ए-पा हमराह

इस में क्या आप की है रुस्वाई
रहे गर मुझ सा पारसा हमराह

तुझे देखा जिधर निगाह गई
था तसव्वुर ज़ि-बस तिरा हमराह

रंज-ए-तंहाई-ए-लहद न रहा
यार के ग़म को ले लिया हमराह

शब को जाते हो साथ लो मशअ'ल
कहिए तो हो ये दिल-जला हमराह

हुए बा'द अपने बेवफ़ा उश्शाक़
ले गए याँ से हम-वफ़ा हमराह

तेरी रफ़्तार का मैं कुश्ता हूँ
क़ब्र तक आइयो ज़रा हमराह

ये दिल-ए-बद-गुमाँ न देख सके
अगर उस बुत के हो ख़ुदा हमराह

ता सलामत तू आए ऐ क़ासिद
ठहर इतना करूँ दुआ हमराह

उस ने तन्हा मुझे न जाने दिया
ग़म-ए-फ़ुर्क़त को कर दिया हमराह

ना-तवाँ है बहुत ग़ुबार मिरा
तू ज़रा रहियो ऐ सबा हमराह

रही याँ गर्दिश और जामा-दरी
काश लाते न दस्त-ओ-पा हमराह

गालियाँ जैसे दीं हैं दिल ले कर
जाएगा ये दिया लिया हमराह

जा न तन्हा तू ऐ शह-ए-ख़ूबाँ
हो 'वज़ीर'-ए-बरहना-पा हमराह


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