जितना कोई तुझ से यार होगा उतना ही ख़राब ओ ख़्वार होगा हर रोज़ हो रोज़-ए-ईद तो भी तू मुझ से न हम-कनार होगा बस दिल इतना तड़प न चुप रह तुझ को भी कहीं क़रार होगा देखे जो कोई चमन में तुझ को गुल उस की नज़र में ख़ार होगा शिकवे में हो जिस के ख़ून की बू तेरा ही वो दिल-फ़िगार होगा नासेह न हो गिर्या से जो माने मेरा वही ग़म-गुसार होगा जा यार शिताब 'सोज़' से मिल तेरा उसे इंतिज़ार होगा