जितना था जीना जी लिए मर जाना चाहिए हद हो गई तो हद से गुज़र जाना चाहिए ठहरे हुए हैं कब से ये मेहमान की तरह आँखों से आँसुओं को बिखर जाना चाहिए ये क्या कि रोज़ क़िस्से में तुम शेर ही बनो यारो कभी कभार तो डर जाना चाहिए उस की गली में जौर-ओ-जफ़ा आम है बहुत उस की गली में यार मगर जाना चाहिए अब के तो मा'रका है बहुत सख़्त ज़ीस्त का अब के तो मा'रके में ये सर जाना चाहिए चल तो रहे हैं लोग यहाँ क़ाफ़िले के साथ लेकिन पता नहीं है किधर जाना चाहिए यूँ तो मुशायरों से ये जी भर गया मगर कहना 'उबैद' का है 'क़मर' जाना चाहिए