जितनी तेज़ी से आ रहा था वो लौट कर दूर जा रहा था वो सिर्फ़ रिश्ते की बात पर यारो उम्र अपनी छुपा रहा था वो तितलियाँ जितनी सामने आईं रंग सब के चुरा रहा था वो दिल किसी से नहीं मिला उस का हाथ सब से मिला रहा था वो ज़ख़्म-ख़ुर्दा सदाओं को 'आजिज़' ख़ामुशी से उठा रहा था वो