जीवन है पल पल की उलझन किस किस पल की बात करें इन लम्हों को भूल के हम तुम गीत ग़ज़ल की बात करें रोज़ ही पीना रोज़ पिलाना रोज़ ग़मों से टकराना इक दिन मय को भूल के आओ गंगा-जल की बात करें सौ बरसों के इस जीने से हासिल क्या हो पाएगा जिस ने दिल को ख़ुशियाँ दी हों उस इक पल की बात करें क्या पाया है भीड़ में खो कर क्या पाया तन्हाई में आओ यारो इन रस्मों के फेर-बदल की बात करें आज वफ़ा की राह 'मुसाफ़िर' धुँदली धुँदली लगती है कोहरा जिस ने बरसाया है उस बादल की बात करें