जो आँसुओं को न चमकाए वो ख़ुशी क्या है न आए मौत पे ग़ालिब तो ज़िंदगी क्या है हमें ख़बर है न अपनी न अहल-ए-दुनिया की कोई बताए ये अंदाज़-ए-बे-ख़ुदी क्या है मैं साथ देता हूँ यारों का हद्द-ए-मंज़िल तक मैं जानता नहीं दस्तूर-ए-रह-रवी क्या है तिरे ख़याल में दिन-रात मस्त रहता हूँ ये बंदगी जो नहीं है तो बंदगी क्या है तिरे करम से मयस्सर है दौलत-ए-कौनैन तिरा करम है जभी तक मुझे कमी क्या है नए पुराने नशेमन सभी जला कर अब निगाह-ए-बर्क़ खड़ी दूर ताकती क्या है किसी की चश्म-ए-करम आप पर नहीं तो क्यूँ ये ख़ुद से पोछिए किरदार में कमी क्या है न आई जागती आँखों के दाएरे में कभी ये बद-नसीब का इक ख़्वाब है ख़ुशी क्या है जो बात कहता हूँ करते हैं उस पे हर्फ़-ज़नी ये दोस्ती है तो अंदाज़-ए-दुश्मनी क्या है क़दम क़दम पे किए 'चर्ख़' ज़िंदगी ने मज़ाक़ समझ में आ न सका क़स्द-ए-ज़िंदगी क्या है