जो बने आइना वो तेरा तमाशा देखे अपनी सूरत में तिरे हुस्न का जल्वा देखे हाए किस तरह तुझे आशिक़-ए-शैदा देखे तेरा साया भी नहीं है कि जो साया देखे तेरी शानें हैं हज़ारों तिरे जल्वे लाखों दो ही आँखें हों मिली जिस को वो क्या क्या देखे क़ैस को होश नहीं लब पे अना लैला है अपने दीवाने को आ कर ज़रा लैला देखे देखने वाले तिरे देखते हैं यूँ तुझ को जैसे दरिया की तरफ़ प्यास का मारा देखे क्या समझ रक्खा है अल्लाह को तू ने 'अकबर' आँखें खोले हुए बैठा है कि जल्वा देखे