जो बे-कहे-सुने आए सदा रखें न रखें ये इख़्तियार है किस पास क्या रखें न रखें हमारे क़दमों के नीचे सरक रही है ज़मीं किसी से क्या कोई शिकवा गिला रखें न रखें ये सोच भी कभी आई नहीं ऐ रब्ब-ए-करीम ब-जुज़ ख़ुदा कोई तुझ सा ख़ुदा रखें न रखें ब-नाम-ए-हुस्न सितम वो करें नए से नया ब-नाम-ए-इश्क़ करम वो रवा रखें न रखें तमाम रात इसी इक उधेड़-बुन में कटी विसाल-ए-यार ये दिल आइना रखें न रखें हमारा ज़ेहन जुदा हो के हम से सोचता है सो अपने आप से अब वास्ता रखें न रखें हमारे हाथ में गहरी है दोस्ती की लकीर सला-ए-आम है 'ख़ुसरव' सिला रखें न रखें