जो भी जीने के सिलसिले किए थे हम ने बस आप के लिए किए थे तब कहीं जा के अपनी मर्ज़ी की पहले अपनों से मशवरे किए थे कभी उस की निगह मयस्सर थी कैसे कैसे मुशाहिदे किए थे अक़्ल कुछ और कर के बैठ रही इश्क़ ने और फ़ैसले किए थे बात हम ने सुनी हुई सुनी थी काम उस ने किए हुए किए थे उसे भी एक ख़त लिखा गया था अपने आगे भी आइने किए थे यहाँ कुछ भी नहीं है मेरे लिए तू ने क्या क्या मुबालग़े किए थे अव्वल आने का शौक़ था लेकिन काम सारे ही दूसरे किए थे बड़ी मुश्किल थी वो घड़ी 'जव्वाद' हम ने कब ऐसे फ़ैसले किए थे