जो घाव तुम ने दिया था वो घाव ज़िंदा है अभी हँसो न मिरी जान 'राव' ज़िंदा है तुम्हारी दिल से वही खेलने की आदत है हमारा अपना वही रख-रखाव ज़िंदा है अभी न सोच मिरी हार तेरी जीत हुई अभी तो खेल में अंतिम पड़ाव ज़िंदा है डरे डरे हुए सहमे हुए अँधेरे हैं चराग़ बुझ तो रहा है दबाव ज़िंदा है हमें यक़ीन है 'नासिर' नहीं भटक सकते अभी ग़ज़ल से हमारा लगाव ज़िंदा है