जो हालत अब है इस दिल की ये हालत फिर कहाँ होगी ग़ज़ल कह लें इधर माइल तबीअ'त फिर कहाँ होगी मिला है अब जो ग़म मुझ को रहेगा उम्र भर दिल में जो शिद्दत आज है इस में वो शिद्दत फिर कहाँ होगी अभी इक दूसरे को देख लें दोनों नज़र भर के बिछड़ने का है वक़्त आया ये क़ुर्बत फिर कहाँ होगी मिलेंगे फिर ये कहते हो कभी वापस जो आए तो कहाँ ऐसे मिलोगे तुम ये सूरत फिर कहाँ होगी जुदा हो कर भी तुझ से ज़िंदगी ऐ दोस्त गुज़रेगी बहर-सूरत मगर ये ख़ूबसूरत फिर कहाँ होगी शिकायत थी तुम्हें हम से हमें भी तुम से शिकवा था करेंगे किस से फिर शिकवा शिकायत फिर कहाँ होगी चलें 'मसऊद' हाल-ए-दिल अब उन से अपना कह दें हम मिलेगी फिर किसे फ़ुर्सत ये जुरअत फिर कहाँ होगी