जो कह रहे थे मेरे साथ साथ आएँगे मुझे ख़बर थी वही साथ छोड़ जाएँगे जो घर बनाओ तो इक पेड़ भी लगा लेना परिंदे सारे मोहल्ले में चहचहाएँगे ज़मीं भी पाँव नहीं रखने देती अब हम को हमें ये ज़िद थी नया आसमाँ बनाएँगे ख़ुदा के वास्ते इन को नसीहतें न करो ये नेक बच्चे बुरे काम सीख जाएँगे ग़ज़ल कही है ये हम ने 'रिशी' तरद्दुद से सुख़न-नवाज़ मिलेंगे तो हम सुनाएँगे