जो लोग कट के गुज़िश्ता से हाल में आए वजूद उन्ही के निगाह-ए-ज़वाल में आए वो फ़िक्र दीजे कि हो ए'तिबार-ए-मुस्तक़बिल वो बात कहिए कि सदियों मिसाल में आए रहीन-ए-ज़र है अभी तो हर एक जज़्बा-ए-शौक़ कहाँ से इश्क़ की लज़्ज़त विसाल में आए पहुँच गया हूँ मैं अहल-ए-जुनूँ के मक़्सद को वो चाहते हैं ख़िरद इश्तिआ'ल में आए अब इतनी तेज़ है रफ़्तार ज़िंदगी की 'शुजा' ख़याल-ए-यार कहाँ से ख़याल में आए