जो सही नईं हुज़ूर करते हो By Ghazal << किसी को अक्स-कुशी में कमा... क़ुदरत की अदालत में काँटो... >> जो सही नईं हुज़ूर करते हो आप कितना ग़ुरूर करते हो जान पहले क़रीब आए अब ख़ुद को मुझ से ही दूर करते हो नाम मेरा लिया नहीं जाता प्यार या'नी ज़रूर करते हो साथ जीने का वा'दा था लेकिन ख़्वाब क्यों चूर चूर करते हो Share on: