जो सालिक है तो अपने नफ़्स का इरफ़ान पैदा कर हक़ीक़त तेरी क्या है पहले ये पहचान पैदा कर जहाँ जाने को सब दुश्वार ही दुश्वार कहते हैं वहाँ जाने का कोई रास्ता आसान पैदा कर हक़ीक़त का कहे जो हाल कर ऐसी ज़बाँ पैदा मोहब्बत के सुनें जो गीत ऐसे कान पैदा कर हुदूद-ए-आलम-ए-तकवीं में सब मुमकिन ही मुमकिन है तू ना-मुम्किन के झगड़े में न पड़ा इम्कान पैदा कर इलाही भेद तेरे उस ने ज़ाहिर कर दिए सब पर कहा था किस ने तू 'सीमाब' को इंसान पैदा कर