जो ये दिल है तो क्या सर-अंजाम होगा ता-ख़ाक भी ख़ाक आराम होगा मिरा जी तो आँखों में आया ये सुनते कि दीदार भी एक दिन आम होगा न होगा वो देखा जिसे कब्क तू ने वो इक बाग़ का सर्व-अंदाम होगा न निकला कर इतना भी बे-पर्दा घर से बहुत उस में ज़ालिम तो बदनाम होगा हज़ारों की याँ लग गईं छत से आँखें तू ऐ माह किस शब-ए-लब-ओ-बाम होगा वो कुछ जानता होगा ज़ुल्फ़ों में फँसना जो कोई असीर ता-दाम होगा जिगर-चाकी नाकामी दुनिया है आख़िर नहीं आए जो 'मीर' कुछ काम होगा