जोश जुनूँ में रात दिन सब से रहा अलग अलग मैं हूँ जुदा अलग अलग लोग जुदा अलग अलग मैं ने बलाएँ लेने को हाथ बढ़ाया जब उधर मुँह को फिरा के यार ने मुझ से कहा अलग अलग शम्अ' जलाने आए हैं आज वो मेरी क़ब्र पर चलना ख़ुदा के वास्ते बाद-ए-सबा अलग अलग ख़ाक हो ज़िंदगी भला तेरे मरीज़-ए-इश्क़ की मैं हूँ दवा से दूर दूर मुझ से दवा अलग अलग 'साबिर' वो कम-नसीब हूँ हिज्र में गर उठाऊँ हाथ बाब-ए-क़ुबूल से रहे मेरी दुआ अलग अलग