जोश उबलता है पिघलती है तमन्ना दिल में आग ही आग है इस सोज़-सरापा दिल में तेरा जल्वा है कि रंगीन सा धोका दिल में कभी ज़ुल्मत कभी पैदा है उजाला दिल में अब नहीं तेरे दो-आलम की ज़रूरत मुझ को इश्क़ ने तेरे बसा दी नई दुनिया दिल में अपनी आँखें तो उठा महव-शुदा जल्वे भी नज़र आएँगे तुझे अंजुमन-आरा दिल में नाज़ था उन को कि हर क़ैद से आज़ाद हैं वो मैं ने कर ही लिया पाबंद-ए-तमन्ना दिल में फूँकता रहता है कौनैन को जिन का परतव बे-ज़रर है उन्हीं जल्वों का तमाशा दिल में आप ही बादा हूँ मैं आप ही साक़ी 'मख़मूर' साग़र आँखों में मिरी और है मीना दिल में