जुनूँ ने ज़हर का पियाला पिया आहिस्ता आहिस्ता ये शो'ला राख में ढलने लगा आहिस्ता आहिस्ता बहुत नाज़ुक हैं एहसासात हम अरमाँ-परस्तों के न हम को ठेस लग जाए सबा आहिस्ता आहिस्ता बजा साज़-ए-वफ़ा लेकिन ज़रा धीमे बजा मुतरिब बपा है हश्र सा दिल में सदा आहिस्ता आहिस्ता ख़ुशी का एक एक लम्हा ख़िराज-ए-ज़ीस्त ले लेगा ये दिल के टूटने का सिलसिला आहिस्ता आहिस्ता ये कैसा मोड़ है बेहिस ज़माना-साज़ या क़ातिल सुलगती है तमन्ना की चिता आहिस्ता आहिस्ता