जुनूँ-पसंद हरीफ़-ए-ख़िरद तो हम भी हैं अदू जो नेक नहीं है तो बद तो हम भी हैं हज़ार सिफ़्र सही इक अदद तो हम भी हैं तुम्हारे साथ अज़ल-ता-अबद तो हम भी हैं अब इतना नाज़ समुंदर-मिज़ाजियों पे न कर कि अपने आप में इक जज़्र-ओ-मद तो हम भी हैं हमें क़ुबूल कहाँ कम-सवाद करते हैं ख़राब-ए-मश्ग़ला-ए-रद्द-ओ-कद तो हम भी हैं हम अपने आप से आगाह इस क़दर तो न थे चलो निशाना-ए-रश्क-ओ-हसद तो हम भी हैं