कई आवाज़ों की आवाज़ हूँ मैं ग़ज़ल के वास्ते एज़ाज़ हूँ मैं कई हर्फ़ों से मिल कर बन रहा हूँ बजाए लफ़्ज़ के अल्फ़ाज़ हूँ मैं मिरी आवाज़ में सूरत है मेरी कि अपने साज़ की आवाज़ हूँ मैं बहुत फ़ितरी था तेरा हर्फ़-ए-इंकार तिरा ग़म-ख़्वार हूँ दम-साज़ हूँ मैं कहीं तो हर्फ़-ए-आख़िर हूँ मैं 'अकबर' किसी का नुक़्ता-ए-आग़ाज़ हूँ मैं