कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा तुम्हारे बा'द किसी की तरफ़ नहीं देखा ये सोच कर कि तिरा इंतिज़ार लाज़िम है तमाम-उम्र घड़ी की तरफ़ नहीं देखा यहाँ तो जो भी है आब-ए-रवाँ का आशिक़ है किसी ने ख़ुश्क नदी की तरफ़ नहीं देखा वो जिस के वास्ते परदेस जा रहा हूँ मैं बिछड़ते वक़्त उसी की तरफ़ नहीं देखा न रोक ले हमें रोता हुआ कोई चेहरा चले तो मुड़ के गली की तरफ़ नहीं देखा बिछड़ते वक़्त बहुत मुतमइन थे हम दोनों किसी ने मुड़ के किसी की तरफ़ नहीं देखा रविश बुज़ुर्गों की शामिल है मेरी घुट्टी में ज़रूरतन भी सखी की तरफ़ नहीं देखा