कभी ख़्वाबों में मिला वो तो ख़यालों में कभी राह चलते न मिला दिन के उजालों में कभी ज़िंदगी हम से तो इस दर्जा तग़ाफ़ुल न बरत हम भी शामिल थे तिरे चाहने वालों में कभी जिन का हम आज तलक पा न सके कोई जवाब ख़ुद को ढूँडा किए उन तल्ख़ सवालों में कभी थोड़ी रुस्वाई तुम्हारी भी तो होगी यारो छप गए शेर हमारे जो रिसालों में कभी