कभी किसी को जो देखा किसी की बाँहों में तुझी को याद किया दिल ने सर्द आहों में इसी उम्मीद पे दुनिया को हम ने छोड़ दिया सुकून दिल को मिलेगा तिरी पनाहों में बहुत हसीन था बचपन का वो ज़माना भी कोई हसीन कली थी मिरी निगाहों में किया था तू ने भी मुझ से निबाह का वा'दा ये चाँद और सितारे भी हैं गवाहों में बहुत दिनों से छुपा है वो चाँद जाने कहाँ बहुत दिनों से अंधेरा है दिल की राहों में अज़ाब-ए-हिज्र न दे ऐ ख़ुदा-ए-हुस्न मुझे मिरी वफ़ा को भी शामिल न कर गुनाहों में