कभी मिलोगे जो दिल के कबीर लोगों से तो भूल जाओगे मिलना अमीर लोगों से हर एक शख़्स से अपनी बने तो कैसे बने है कुछ अलग सा हमारा ख़मीर लोगों से जो उन के दिल को दुखाया तो होगा रब नाराज़ सदा दुआएँ ही लेना फ़क़ीर लोगों से जो हाल जानना चाहो क़फ़स के पंछी का तो मिल के देख लो इक दिन असीर लोगों से जो बे-ज़मीर हैं उन से नहीं है रब्त मिरा हमेशा मिलता हूँ मैं बा-ज़मीर लोगों से उन्हें ग़ुरूर से फ़ुर्सत कभी नहीं मिलती वो कैसे बात करें हम हक़ीर लोगों से ये सोच सोच के 'आसिम' का दिल लरज़ता है कि कैसे मिलते हैं मुनकिर-नकीर लोगों से