कभी तो आओ हमारे भी जान कोठे पर लिया है हम ने अकेला मकान कोठे पर खड़े जो होते हो तुम आन आन कोठे पर करोगे हुस्न की क्या तुम दुकान कोठे पर तुम्हें जो शाम को देखा था बाम पर मैं ने तमाम रात रहा मेरा ध्यान कोठे पर यक़ीं है बल्कि मिरी जान जब कि निकलेगी तो आ रहेगी तुम्हारे ही जान कोठे पर मुझे ये डर है किसी की नज़र न लग जावे फिरो न तुम खुले बालों से जान कोठे पर बशर तो क्या है फ़रिश्ते का जी निकल जावे तुम्हारे हुस्न की देख आन-बान कोठे पर झमक दिखा के हमें और भी फँसाना है जभी तो चढ़ते हो तुम जान जान कोठे पर तुम्हें तो क्या है व-लेकिन मिरी ख़राबी हो किसी का आन पड़े अब जो ध्यान कोठे पर गो चूने-कारी में होती है सुर्ख़ी तो ऐसी किसी के ख़ून का ये है निशान कोठे पर ये आरज़ू है किसी दिन तो अपने दिल का दर्द करें हम आन के तुम से बयान कोठे पर लड़ाओ ग़ैर से आँखें कहो हो हम से आह कि था हमें तो तुम्हारा ही है ध्यान कोठे पर ख़ुदा के वास्ते इतना तो झूट मत बोलो कहीं न टूट पड़े आसमान कोठे पर कमंद ज़ुल्फ़ की लटका के उस सनम ने 'नज़ीर' चढ़ा लिया मुझे अपने निदान कोठे पर