कफ़न जब सी रहे थे लोग मेरा मुझे लगता था लहँगा बन रहा है हमारे साँस होंगे दुख का सालन हमारा दिल जो चूल्हा बन रहा है तिरी मौजूदगी है बे-मआ'नी तिरा होना न होना बन रहा है मिरी हर रात नींदों से ख़फ़ा है मिरा हर ख़्वाब कतबा बन रहा है वो अपनी क़द्र अब खोने लगा है वो अब तोले से माशा बन रहा है फ़लक जूड़े तले रक्खा हुआ है सितारों से परांदा बन रहा है हमारे शहर का अहवाल मत पूछ हमारा शहर कूफ़ा बन रहा है