कहाँ है तू कहाँ है और मैं हूँ अनल-हक़ का बयाँ है और मैं हूँ लब-ए-जाँ-बख़्श-ए-जानाँ का हूँ कुश्ता हयात-ए-जाविदाँ है और मैं हूँ विसाल-ए-दाइमी का है तसव्वुर बहार-ए-बे-ख़िज़ाँ है और मैं हूँ नहीं हर इक को इस मयख़ाने में बार बस इक पीर-ए-मुग़ाँ है और मैं हूँ मज़ा देता है तन्हाई में रोना कि इक दरिया रवाँ है और मैं हूँ उठा दो दिन को और शब को ब-दस्तूर ये संग-ए-आस्ताँ है और मैं हूँ तहम्मुल की नहीं अब ताब ज़िन्हार नबर्द-ए-आसमाँ है और मैं हूँ गुल-ए-गुलचीं कहाँ फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ में पुराना आशियाँ है और मैं हूँ शब-ए-हिज्राँ में हो कौन और दम-साज़ फ़क़त इक क़िस्सा-ख़्वाँ है और मैं हूँ विलायत का सफ़र मुश्किल है 'नाज़िम' यही हिन्दोस्ताँ है और मैं हूँ