कहा किस ने हमेशा प्यार देना कभी तो जान का आज़ार देना कनीज़ों से अकेले में ये वा'दे मोहब्बत बरसर-ए-दरबार देना ये क्या यूँही हमेशा जीत जाओ कभी हम को जूए में हार देना मोहब्बत भी तशद्दुद चाहती है कभी झूटा तमाँचा मार देना तुम्हें जी जान से चाहा है हम ने बुरा है इस तरह धुत्कार देना यहाँ आए हैं मीलों धूप से हम ज़रा सा साया-ए-दीवार देना जहाँ जो चीज़ चाहें हम ख़रीदें सुहूलत का खुला बाज़ार देना हमारी जेब में सिक्के नहीं हैं ख़ुदा हम को भी तू दीनार देना न जाने रात में क्या कुछ हुआ हो हमें तुम सुब्ह का अख़बार देना