कहीं गुलाब कहीं सब्ज़ घास रहने दो चमन को मेरे ज़रा ख़ुश-लिबास रहने दो मैं ख़ार-ओ-ख़स ही सही कुछ तो काम आऊँगा मुझे जलाओ नहीं घर के पास रहने दो ख़ुशी मिली है तुम्हारी ये ख़ुश-नसीबी है उदास रहना है मुझ को उदास रहने दो कभी तुम्हारी नज़र मुझ पे क्यों नहीं पड़ती सुना है तुम हो सितारा-शनास रहने दो फ़क़ीर रखते नहीं ज़र्क़-बर्क़ पोशाकें मिरे बदन पे ये सादा लिबास रहने दो ज़बान खोलोगे जब भी अना भी जाएगी करो न उस से कोई इल्तिमास रहने दो हज़ार तल्ख़ है लहजा किसी का 'नस्र' तो क्या ज़बाँ में अपनी मगर तुम मिठास रहने दो