कहीं मैं कम हूँ अभी तक कहीं सिवा हूँ मैं मैं बन चुका हूँ या अब तक नहीं बना हूँ मैं ये और बात कि हम ने पता लगा ही लिया कभी ख़ुदा ने बताया नहीं ख़ुदा हूँ मैं मैं इंतिज़ार में बैठा हूँ अपने होने के कभी जो पेश न आया वो हादिसा हूँ मैं किवाड़ खोल के पूछा तो कुछ नहीं बोली किवाड़ बंद किए तो कहा हवा हूँ मैं मुझे मनाने की कोशिश तो कर रहे हो तुम तुम्हें ख़बर भी है किस बात पर ख़फ़ा हूँ मैं पता नहीं कि ख़ुदा क्यों मुझे न सुन पाया फ़लक से लौट के आती हुई दुआ हूँ मैं