कहीं सोता न रह जाऊँ सदा दे कर जगाओ ना मुझे इन आठ पहरों से कभी बाहर बुलाओ ना खुली आँखों से कब तक जुस्तुजू का ख़्वाब देखूँगा हिजाब-ए-हफ़्त-पर्दा अपने चेहरे से उठाओ ना सितारे पर सितारा ओक में बहता चला आए किसी शब कहकशाँ उंडेल कर मुझ को पिलाओ ना जो चाहो तो ज़माने का ज़माना वाज़गूँ कर दो मगर पहले हुदूद-ए-जाँ में हंगामा उठाओ ना सुबुक-दोश-ए-ज़ियाँ कर दीं ज़ियाँ-अंदेशियाँ दिल की ज़रा असबाब-ए-दुनिया राह-ए-दुनिया में लुटाओ ना लिए जाते हैं लम्हे रेज़ा रेज़ा कर के आँखों को निहायत देर से मैं मुंतज़िर बैठा हूँ आओ ना