कई दिनों से मोहब्बत का कुछ वबाल नहीं तू मुस्कुरा के पस-ओ-पेश में यूँ डाल नहीं कई सदी के जुनूँ से उसे तराशा है हमारा इश्क़ कोई दो टके का माल नहीं हमारे दिल का नगर किस ने फूँक डाला है हमारी आँख लगी थी हमें ख़याल नहीं इरादा है कि तुम्हें शर्मसार देखूँ मैं वगर्ना दिल की तबाही का यूँ मलाल नहीं बड़े सुकूँ से गुज़र हो रही है हम सब की सवाल ये कि किसी लब पे क्यों सवाल नहीं मैं आदतन भी ज़रा सा उदास रहता हूँ हर एक बात मोहब्बत के सर पे डाल नहीं