कई दिनों तक नज़र में रहने पे हाँ करेगी वो पहली कोशिश पे दिल-कुशादा कहाँ करेगी ख़ुदा की मर्ज़ी बता रहा था बिछड़ने वाला वो जानता था कि गीली लकड़ी धुआँ करेगी मुझे पता है मैं उस की नज़रों से गिर गया हूँ मिरी तवज्जोह भी अब उसे बद-गुमाँ करेगी बिछड़ गए दोस्त तो ग़लत-फ़हमियाँ बढ़ेंगी ज़मीं पे बिखरे तनों का दीमक ज़ियाँ करेगी बग़ैर पतवार मो'जिज़ा होगा पार लगना ये लहर पर है किधर सफ़ीना रवाँ करेगी कोई शगूफ़ा तुम्हारे हँसने का मुंतज़िर है किसी नज़ारे को धूप आ कर अयाँ करेगी