क़ैद आप अपने ही में रहा हूँ ग़लत नहीं मैं सूरत-ए-ख़याल जिया हूँ ग़लत नहीं पानी का बुलबुला है हक़ीक़त में ज़िंदगी फिर भी मैं वाहिमों में पड़ा हूँ ग़लत नहीं आईना देखता है मुझे आईने को मैं यूँ अक्स अक्स टूट गया हूँ ग़लत नहीं साए को मेरे देख के ये मान लेंगे आप मैं आप अपने क़द से बड़ा हूँ ग़लत नहीं 'प्रेमी' अगर कहूँ कि किसी के बग़ैर मैं ख़ुद से भी अजनबी ही रहा हूँ ग़लत नहीं