मुझ को ता'लीम से नफ़रत ही सही और खेलों से मोहब्बत ही सही मैं ने इस से तो बड़े काम लिए आप को खेल से वहशत ही सही इम्तिहाँ से मैं नहीं घबराता फ़ेल होना मिरी क़िस्मत ही सही पढ़ने वालों ने भी क्या कुछ न किया नक़्ल करना मिरी आदत ही सही मैं ने तो सिर्फ़ गुज़ारिश की थी सब की नज़रों में शिकायत ही सही मैं किसी से न लड़ूँगा हरगिज़ दब के रहना मिरी फ़ितरत ही सही मैं न छोड़ूँगा शराफ़त का चलन ये शराफ़त मिरी ज़िल्लत ही सही कभी चूमेगी क़दम ख़ुद मंज़िल आज हर गाम पे दिक़्क़त ही सही ये मुसीबत भी बड़ी दिलकश है ज़िंदगी एक मुसीबत ही सही 'कैफ़' इक दिन ये बना देगी तुझे शेर-गोई तिरी आदत ही सही