कैसे कहें कि कैसे गुज़ारी है ज़िंदगी क्या बोझ थी कि सर से उतारी है ज़िंदगी मक़्तल थे गाम गाम ये रस्ता तवील था अपने लहू से हम ने सँवारी है ज़िंदगी करती है ख़ुद तलाश ये काँटों का रास्ता इस वास्ते सुकून से आरी है ज़िंदगी क़ाएम है एक फ़ासला दोनों के दरमियाँ शक और यक़ीं के साथ अब जारी है ज़िंदगी मैं जानती हूँ ज़िंदगी है कर्ब-ओ-इज़्तिराब साँसों के बोझ से बड़ी भारी है ज़िंदगी 'शाहीन' अपनी हार पर है मुतमइन कि बस इक जीत के लिए ही तो हारी है ज़िंदगी