कैसी महफ़िल में ऐ दिल तुझ को लाया हूँ देख ज़रा मैं ने तेरे ऐश कराए अब तू मेरे ऐश करा लगता है ये नासेह भी है जिन की तरह की कोई चीज़ यक दम आ धमकेगा कहीं से जूँही मैं ने जाम भरा गाड़ी की रफ़्तार भी तेज़ है रस्ता भी है ना-हमवार धीरे धीरे शांत हुआ हूँ पहले तो मैं बहुत डरा अपनी महारत पर तुझ को बेजा तो न होगा इतना मान मैं भी मान ही लूँगा तुझ को लेकिन खेल के मुझे हरा अपने हाल-ए-ज़बूँ का मैं तक़दीर पे धरता था इल्ज़ाम अब मालूम हुआ 'बासिर' ये सब है तेरा किया-धरा