कैसी सोहबत है कैसी तन्हाई हम हैं इक दूसरे की तन्हाई पहला दिन है ज़मीं पे आदम का पहली हिजरत है पहली तन्हाई आधे बिस्तर पे आ बढ़ो तुम भी बाँट लें आधी आधी तन्हाई गुफ़्तुगू ने थका दिया है बहुत आ मिरी दोस्त मेरी तन्हाई जब ख़ुदा भी नहीं था साथ मरे मुझ पे बीती है ऐसी तन्हाई मैं ने समझी ज़बाँ ख़मोशी की ऐसी मज्लिस से अच्छी तन्हाई