कैसी तन्हाई है नज़ारों में साँस रुकता है ख़ार-ज़ारों में ये जो चेहरा है कितना बोझल है दर्द है किस क़दर शरारों में मैं उसे याद कर के रोता हूँ बस वही एक था हज़ारों में ख़ुशबुएँ उस की साथ लाते हैं फूल खिलते हैं जब बहारों में आज खिड़की में उस ने आना है लग गए हैं सभी क़तारों में टिमटिमा कर बुला रहे हैं जो आओ चलते हैं उन सितारों में ये जो सब हैं ये कितने दिलकश हैं फ़र्क़ कैसे करूँ मैं प्यारों में ये रखो ये तुम्हारा अपना है शर्म होती नहीं है यारों में रास्ता है न जिन की मंज़िल है 'सब्ज़' शामिल है उन सवारों में