कलियाँ चटक रही हैं बहारों की गोद में जल्वों की महफ़िलें हैं सितारों की गोद में वो मौज जिस के ख़ौफ़ से पतवार गिर पड़े कश्ती को ले गई है किनारों की गोद में मंज़िल सिमट के ख़ुद ही मिरे पास आ गई मैं सर-गराँ थी राह-गुज़ारों की गोद में यूँ तो दिए फ़रेब सहारों ने उम्र भर दिल को बड़ा सुकूँ था सहारों की गोद में तेरा ख़याल तेरी मोहब्बत ग़म-ए-हयात सब सो गए हैं वक़्त के धारों की गोद में मानूस हो गई हूँ ख़िज़ाँ से ये सोच कर कुछ भी नहीं 'नसीम' बहारों की गोद में